मेल इनफर्टिलिटी को कुछ सालों पहले तक आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता था लेकिन समय के साथ जागरूकता बढ़ी है और पुरूषों ने ये मान लिया कि उनके कारण भी निःसंतानता हो सकती है। आजकल पुरूष अपनी जांच के लिए आगे आ रहे हैं और संतान सुख के लिए उपचार भी अपना रहे हैं। पुरूषो में निःसंतानता के कई कारण हो सकते हैं मेडिकल कारणों के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव भी प्रमुख रूप से सामने आया है। जिस तरह महिलाओं में निःसंतानता के लक्षण बाहर से दिखाई नहीं देते हैं उसी प्रकार पुरूषों में भी निःसंतानता के लक्षण बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। आमतौर पर पुरूष भी अपनी कमी के बारे में किसी से चर्चा नहीं करते जबकि डॉक्टर से कन्सल्ट करके आधुनिक इक्सी (आईसीएसआई) तकनीक से वे भी अपने शुक्राणु से पिता बन सकते हैं। आजकल पुरूष निःसंतानता के ज्यादातर केसेज में डॉक्टर्स इक्सी तकनीक का उपयोग करते हैं।
हर मरीज की समस्या अलग होती है ऐसे में निःसंतानता के सभी केसेज में मरीजों को एक समान उपचार नहीं दिया जा सकता है । मरीज की समस्या को ध्यान में रखकर उपचार किया जाए तो सफलता की संभावना भी अधिक होगी। आईसीआईएस उपचार इन्ट्रा साइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन कहलाता है। अक्सर दम्पती ये सवाल पूछते हैं कि आईसीएसआई ट्रीटमेंट क्या होता है।
आईसीएसआई को आईवीएफ प्रक्रिया से बेहतर माना जाता है। आईसीएसआई में महिला के अण्डाशय में हर महीने सामान्य रूप से बनने वाले अण्डों से अधिक संख्या में अण्डे बनाए जाते हैं इसके लिए महिला को दवाइयां और इंजेक्शन दिये जाते हैं। इस प्रोसेस में करीब 10 से 12 दिन का समय लगता है जब अण्डे बन जाते हैं तो उनको महिला के शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है और लैब में रख दिया जाता है इसके बाद पुरूष साथी के वीर्य के सेम्पल में से हैल्दी स्पर्म को छांटकर महिला के प्रत्येक अण्डे में एक शुक्राणु को इंजेक्ट किया जाता है। चूंकि एक अण्डे में एक शुक्राणु को छोड़ा जाता है इसलिए फर्टिलाइेजशन की संभावना ज्यादा होती है। आईसीएसआई उपचार से बने भ्रूण के विकास को चार-पांच दिन तक देखा जाता है और इन भ्रूणों में से श्रेष्ठ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जाता है। भ्रूण ट्रांसफर होने के दो सप्ताह बाद बीटा एचसीजी टेस्ट के माध्यम से प्रेगनेंसी को सुनिश्चित किया जाता है हालांकि महिला को प्रेगनेंसी के लक्षण सप्ताह भर बाद से ही महसूस होने लगते हैं।
पुरूषों को लगता है कि पिता बनने के लिए कुछ शुक्राणु काफी होते हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वीर्य के प्रति एम एल में 15 मीलियन से अधिक शुक्राणुओं को नोर्मल माना गया है। 15 मीलियन प्रति एम एल से कम होने पर नेचुरली कंसीव करने में प्रोब्लम हो सकती है। इक्सी तकनीक के आविष्कार से पहले कम शुक्राणुओं की स्थिति में डोनर स्पर्म का सहारा लेना पड़ता था लेकिन आज के समय में बहुत ही कम शुक्राणु यानि वीर्य में 1 से 5 मीलियन प्रति एमएल होने पर भी अपने शुक्राणुओं से पिता बना जा सकता है। 5 से 10 मिलियन प्रति एम एल की स्थिति में आईवीएफ तकनीक का सुझाव दिया जाता है। वे पुरूष जिनके शुक्राणुओं की संख्या, आकार, गति में कमी हो, वीर्य में मृत शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा हो, शून्य शुक्राणु एवं जिनके स्पर्म बनते तो हैं लेकिन बाहर नहीं आ पाते हैं वे आईसीएसआई उपचार को अपना सकते हैं।
कुछ वर्षों पहले तक शून्य शुक्राणुओं में पिता बनना संभव नहीं था लेकिन आज इक्सी तकनीक से निल स्पर्म में भी अपने स्पर्म से पिता बनने की आस जग गयी है। वे पुरूष जिनमें शुक्राणुओं का निर्माण हो रहा है लेकिन बाहर नहीं आ पा रहे हैं ऐसी स्थिति में टेस्टिक्यूलर बायोप्सी के माध्यम से अंडकोष से शुक्राणु निकाले जा सकते हैं । अंडकोष से निकाले गये शुक्राणुओं में से स्वस्थ शुक्राणुओं का सेलेक्शन किया जाता है इसके बाद फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया इक्सी तकनीक से की जाती है । इक्सी तकनीक से कई पुरूष शून्य शुक्राणु में भी पिता बन चुके हैं।
उत्तर: इंट्रा साइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन। इसको शार्ट नाम इक्सी के रूप में जाना जाता है।
उत्तर: जब किसी पुरूष के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 1 से 5 मीलियन प्रति एम एल के बीच हो और प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं हो पा रहा है।
उत्तर: आईवीएफ के समान इस प्रक्रिया में भी महिला को सामान्य से ज्यादा एग्ज बनाने के लिए दवाइयां और इंजेक्शन दिये जाते हैं इसमें करीब 10-12 दिन का समय लगता है इसके बाद पति के वीर्य का सेम्पल लेकर फर्टिलाजेशन की प्रक्रिया होती है यानि कुल मिलाकर करीब दो सप्ताह की प्रक्रिया है।
उत्तर: अन्य एआरटी उपचार प्रक्रियाओं की तुलना में इक्सी की सफलता दर अधिक है क्योंकि इसमें एक अण्डे में एक शुक्राणु को इंजेक्ट किया जाता है।
उत्तर: आज के समय में आईसीएसआई अधिक भरोसमंद तकनीक है। इक्सी की सफलता दर के आंकड़ें बताते हैं कि ये सफल तकनीक है साथ ये प्रक्रिया सरल भी है।
आज के समय में कम शुक्राणुओं में भी पिता बनना आसान हो गया है। बस समय पर एक्सपर्ट डॉक्टर से कन्सल्ट करने की जरूरत है । इक्सी सफल तकनीक साबित हो रही है इस कारण ज्यादातर आईवीएफ सेंटर इसे अपना रहे हैं।
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