हर दम्पती चाहता है कि उसके घर में नन्हें कदमों की आहट गूंजे, मासूम की खिलखिलाहट से सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाए लेकिन किन्हीं कारणों से सभी दम्पतियों की ये इच्छा पूरी नहीं हो पाती है। भारत में करीब 10 से 15 फीसदी संतान की चाह रखने वाले दम्पती निःसंतानता से प्रभावित है। इसमें से कईयों को साधारण उपचार के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है। ऐसे दम्पतियों के लिए एआरटी तकनीकें उपयोगी साबित हो सकती है। एआरटी की सबसे पहली और सामान्य तकनीक आईयूआई (इंट्रा यूटेराइन इन्सीमिनेशन) है। आईयूआई की लागत iui cost भी अधिक नहीं है।
हर कपल को आईयूआई सजेस्ट नहीं किया जाता है क्योंकि ये निःसंतानता की सभी समस्याओं में लाभदायक नहीं है। प्राकृतिक गर्भधारण में विफल होने पर दम्पती आमतौर पर आईयूआई को प्राथमिकता देते हैं।
ये प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भधारण के मिलती-जुलती है । आईयूआई उपचार के लिए महिला की सारी टेस्ट रिपोर्ट नोर्मल होनी चाहिए वहीं पुरूष के शुक्राणु 10 से 15 मीलियन प्रति एमएल होने पर प्रक्रिया का सुझाव दिया जाता है। इसमें महिला को कुछ हार्मोनल दवाइयां देकर अण्डाशय में अण्डों का निर्माण किया जाता है और ओव्युलेशन (अण्डोत्सर्ग) के टाइम पर पति के वीर्य सेम्पल में से बेस्ट शुक्राणुओं का चयन करके पतली नली के जरिये औरत के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है। ओव्युलेशन के दौरान स्पर्म इंजेक्ट करने से फर्टिलाइजेशन की संभावना अधिक रहती है।
आईयूआई की सक्सेज ज्यादा नहीं है यानि अधिकतम 5 से 20 प्रतिशत तक रहती है।
आईयूआई प्राकृतिक गर्भधारण जैसी प्रक्रिया होने के कारण इसका खर्चा अधिक नहीं होता है। आईयूआई का खर्च अस्पताल में मौजूद सुविधाओं और तकनीकों तथा मरीज की रिपोर्ट पर भी निर्भर करता है। ये खर्चा कम ज्यादा हो सकता है। भारत में आईयूआई की लागत पश्चिमी देशों की तुलना में कम है।
आईयूआई का खर्चा कम जरूर है लेकिन आईयूआई करवाने से पहले ये जानना भी जरूरी है कि आप जिस सेंटर से आईयूआई करवा रहे हैं उनकी सफलता दर क्या है अनुभवी एक्सपर्ट्स हैं या नहीं । अच्छे सेंटर में आईयूआई करवाना चाहिए ताकि सफलता की संभावना अधिक रहे ।
जिन दम्पतियों के आईयूआई असफल हो गये हैं उन्हें इससे बेहतर तकनीक आईवीएफ की ओर कदम बढ़ाना चाहिए । आईवीएफ की सफलता दर आईयूआई से ज्यादा है। आईवीएफ जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है इसमें फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस जो महिला की ट्यूब में होती है उसे लैब में किया जाता है। फर्टिलाइज्ड भ्रूण को बाद में महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
प्राकृतिक गर्भधारण नहीं होने पर आईयूआई कृत्रिम गर्भाधान का एक अच्छा विकल्प है और पुरानी तकनीक है। इसकी एक साइकिल का खर्चा 10 हजार से 20 हजार के बीच होने के कारण लोग इसे प्राथमिकता देते हैं।
आईयूआई कॉस्ट और सक्सेस रेट के बारे मैं और जानने के लिए इस वीडियो को जरूर देखे
उत्तर: आईयूआई प्रक्रिया में महिला के अण्डशय में अण्डे बनाने के लिए दवाइयां दी जाती हैं, अण्डे को रप्चर करने के लिए एक ट्रिगर इंजेक्शन दिया जाता है। दवाओं का प्रभाव कम लगने पर 2-3 इंजेक्शन दिये जाते हैं ।
उत्तर: आईयूआई प्रक्रिया में ज्यादा समय नहीं लगता है। ओव्युलेशन के समय महिला के गर्भाशय में मेल पार्टनर के स्पर्म इंजेक्ट किये जाते हैं । ये दर्दरहित प्रक्रिया है और महिला उसी दिन घर जा सकती है।
उत्तर: चूंकि ओव्युलेशन के समय महिला के गर्भाशय में स्पर्म इंजेक्ट किये जाते हैं इसलिए आईयूआई प्रक्रिया के बाद निषेचन में एक - दो दिन का समय लग सकता है। कुछ केसेज में स्पर्म इंजेक्ट करने के कुछ ही घंटों में निषेचन हो जाता है। निषेचन के तीन-चार दिन बाद इम्पालंटेशन हो सकता है।
उत्तर: आईयूआई प्राकृतिक गर्भधारण के समान प्रक्रिया है। इसकी सफलता दर 5 से 20 प्रतिशत से बीच रहती है।
आईयूआई ट्रीटमेंट (IUI Treatment) की और जानकारी के लिए अपने नजदीकी Indira IVF क्लिनिक से संपर्क करे।
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