महिलाओं को मासिक धर्म आने के कुछ दिनों पहले हल्के दर्द या अन्य लक्षणों से पता चल जाता है। माहवारी शुरू होने से पहले और इसके दौरान हल्का दर्द होना सामान्य बात है जिसे डिसमेनोरिया कहा जाता है। इसे आम बोलचाल में मेन्स्ट्रूअल पेन भी कहा जाता है । कुछ महिलाओं को ये दर्द अधिक होता है और अधिक परेशान भी करता है। अधिक दर्द और अधिक रक्तस्त्राव के साथ मिचली जैसी स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं। आमतौर पर मासिक धर्म आने पर महिला काम पर जा सकती हैं लेकिन कई महिलाओं को अधिक दर्द होने के कारण नौकरी या काम से छुट्टी लेनी पड़ती है। पीरियड में दर्द क्यों होता है - महिला को कुछ दिनों या घंटों के लिए ये समस्या हो सकती है इसके बाद जैसे - जैसे रक्तस्त्राव घटता है दर्द कम होने लगता है। कमर में दर्द की समस्या भी होती है| ज्यादातर औरतों को माहवारी के दौरान दर्द होता है ये दर्द दो तरह का होता है। पहला प्राइमरी डिसमेनोरिया और दूसरा सेकेण्डरी डिसमेनोरिया । प्राइमरी डिसमेनोरिया सामान्य दर्द है जो पेट के निचले हिस्से में तथा जांघो में भी हो सकता है। यह दर्द पीरियड्स शुरु होने पर महसूस होता है तथा 2-3 दिन में ठीक हो जाता है । कम उम्र की महिलाओं और युवतियों में ये दर्द हो सकता है ये हल्का दर्द होता है और पीरियड की शुरूआत का संकेत होता है। गर्भाशय के सिकुड़ने के कारण पेट में ऐंठन हो सकती है तथा यूट्रस में खून की कमी के कारण भी दर्द हो सकता है । इस दर्द को आराम या दवाइयों से ठीक किया जा सकता है। यदि फाइब्रॉयड्स, पीआईडी या एंडोमेट्रिओसिस जैसी बीमारी हो तो माहवारी में अधिक दर्द होता है इसे सेकेंडरी डिसमेनोरिया कहते हैं। इस समस्या में माहवारी के करीब एक सप्ताह पहले दर्द शुरू हो जाता है और बढ़ जाता है। कुछ महिलाओं में ये दर्द वंशानुगत भी हो सकता है। कुछ महिलाओं में दर्द के साथ पेट में सूजन, स्तन कोमल हो जाना, मूड में बदलाव, अकड़न और थकान की समस्या हो सकती है। सेकेण्डरी दर्द केवल माहवारी तक सीमित नहीं रहता है ये पूरी पीरियड साइकल में रह सकता है।
माहवारी के पहले ही लड़कियों और महिलाओं में ऐंठन तथा दर्द जैसी समस्या महसूस होने लगती है। गर्भाशय जब संकुचन प्रक्रिया आरम्भ करता है तो प्रोस्टाग्लैंडीन हार्मोन का स्त्राव होता है। इस दौरान गर्भाशय से थक्के भी बाहर निकलते हैं इस कारण दर्द ज्यादा महूसस होता है।
अधिक दर्द के प्रमुख कारण - एंडोमेट्रियोसिस, एडिनोमायोसिस, यूटेराइन फाईब्रोइड्स और एसटीडी। एंडोमेट्रियोसिस की समस्या वंशानुगत भी हो सकती है। इन समस्याओं के कारण निःसंतानता भी हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण हर मरीज में कम ज्यादा हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है और निःसंतानता की समस्या हो सकती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द माहवारी के दौरान तथा पहले या बाद में भी हो सकता है। कुछ महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने के दौरान व यूरिन के दौरान भी दर्द होता है।
इसके मामले कम उम्र में यानि माहवारी शुरू होने के समय से लेकर मेनोपॉज तक या इसके बाद भी किसी महिला को हो सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज दवाओं और सर्जरी दोनों तरीकों से किया जा सकता है। मेडिकल उपचार में आराम देने वाली दवाएं दी जाती हैं । सर्जिकल उपचार में लेप्रोस्कॉपी की जाती है। पेट के निचले हिस्से अधिक दर्द के मामलों में निःसंतानता की समस्या हो सकती है।
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