टी.बी. दुनिया की सबसे पुरानी बीमारियों में से एक हैं। बीसवीं सदी की शुरुआत से सामान्य और जननांग टी.बी. की घटनाएं निरन्तर कम हो रही हैं, लेकिन भारत जैसे कई विकासशील देशों में टी.बी. आज भी एक गंभीर बीमारी बनी हुई है।
महिलाओं के जननांग के भीतरी हिस्से में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लूसिस के बैक्टीरिया का पहुंचना, निःसंतानता का एक बड़ा कारण है। अगर कोई महिला गर्भवती होने से पहले टी.बी. से पीडित हो, तो उसे उपचार पूरा हो जाने तक गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी जाती है।
टी.बी. के कीटाणु सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं। फिर खून के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंच जाते हैं। शरीर का कोई भी अंग दिमाग से लेकर चमड़ी तक इससे प्रभावित हो सकता है। आमतौर पर इसका संक्रमण सबसे ज्यादा फेफड़ों, हड्डियों और महिला की जनेन्द्रियों को प्रभावित कर सकता है।
यह बीमारी प्रमुख रुप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन समय रहते इसका उपचार ना कराया जाए तो यह रक्त के द्वारा शरीर के दूसरे भागों में भी फैल कर उन्हें संक्रमित कर सकती है। यह संक्रमण महिला के प्रजनन तंत्र एवं अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब्स, अण्डाशय एवं गर्भाशय को प्रभावित कर गंभीर क्षति पहुंचा सकती है जो आगे चलकर गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं। महिलाओं में टी.बी. के कारण गर्भाशय की परत (एण्डोमेट्रियम) में खराबी व ट्यूब बंद अथवा खराब होने की समस्या हो सकती है।
पेल्विक ट्युबरक्युलोसिस का पता लगाना कई बार मुश्किल होता है क्योंकि कई मरीजों में लम्बे समय तक इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, कई मामलों में इसका पता तब चलता है जब दम्पती निःसंतानता से जुड़ी समस्या लेकर जांच के लिए आते हैं ।
जिन महिलाओं की ट्यूब्स, टी.बी. के कारण खराब हो जाती हैं उनको विशेषज्ञों द्वारा सबसे पहले टी.बी. का इलाज पूरा करने की सलाह दी जाती हैं।
कई महिलाओं में अगर ट्यूब का कुछ भाग सही हो तथा दूसरा भाग खराब हो तो उनमें एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (भ्रूण का ट्यूब में विकसित होना) की समस्या हो सकती है।
अक्सर टी.बी. से प्रभावित महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब्स बंद हो जाती है। ट्यूब में पानी भरने की समस्या के चलते डॉक्टर लेप्रोस्कॉपी का ऑपरेशन कर ट्यूब खुलवाने, क्लिपिंग या डिलिकिंग करवाने की सलाह देते हैं।
अगर टी.बी. के इंफेक्शन से ट्यूब के अंदर के महीम रेशे (सिलियां) खराब हो जाते हैं तो ऐसे मरीजों में लेप्रोस्कॉपी के बाद गर्भधारण की समस्या काफी कम रहती है। यह इसलिए होता है क्योंकि ट्यूब में अण्डे व शुक्राणु का मिलन नहीं हो पाता है।
ऐसे मरीजों के लिए आई.वी.एफ. (टेस्ट ट्यूब बेबी) सबसे अच्छा विकल्प है, जो उन्हें मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी माँ बनने में मदद करता है।
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