कई महिलाएं बाहर से स्वस्थ दिखती हैं लेकिन पीरियड का समय पास आने पर घबराने लगती हैं। माहवारी के दौरान अत्यधिक दर्द के कारण वे सहमी सी रहती हैं। माहवारी में असहनीय दर्द का कारण पता नहीं होने के कारण वे इसे सामान्य मान लेती हैं जबकि इसका कारण बच्चेदानी यानि गर्भाशय से जुड़ा हुआ हो सकता है। जिन महिलाओं को माहवारी के दौरान पेट के निचले भाग व कमर में बहुत अधिक दर्द होता है और रक्तस्त्राव भी अधिक होता है उसका कारण एडिनोमायोसिस हो सकता है। एडिनोमायोसिस के कारण प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में भी समस्या हो सकती है। कई महिलाएं डॉक्टर से कन्सल्ट किये बिना दवाइयां लेती रहती हैं इस कारण परिणाम अच्छे नहीं मिलते हैं।
एडिनोमायोसिस आमतौर पर बच्चेदानी यानि यूट्रस में सूजन के रूप जाना जाता है। यह महिला के गर्भाशय में होने वाली एक समस्या है। यह समस्या कई मामलों में गंभीर रूप ले सकती है। एडिनोमायोसिस से प्रभावित होने पर गर्भाशय की आंतरित परत (लेयर) एण्डोमेट्रीयम उसके ऊपर की परत मायोमेट्रियम में चली जाती है और डवलप होने लगती है जिससे मायोमेट्रियम की साईज नोर्मल से ज्यादा बढ़ जाती है।
पीरियड शुरू होने से पहले दर्द होना, पीरियड्स के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग, रक्तस्त्राव के साथ दर्द होना, शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना, पीरियड के दौरान सामान्य से बहुत
अधिक दर्द होना, गर्भाशय की साइज बड़ी हो जाना इस तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। एडिनोमायोसिस का सबसे बड़ा प्रभाव निःसंतानता के रूप में दिखाई देता है।
ये समस्या महिलाओं में निःसंतानता के प्रमुख कारणों में से एक कारण बन कर सामने आ रही है। एडिनोमायोसिस के कारण या तो गर्भधारण नहीं हो पाता है और गर्भधारण हो भी जाए तो मिसकैरज हो सकता है। कई मामलों में एक्टोपिक प्रेगनेंसी भी हो सकती है जो भ्रूण व महिला दोनां के लिए खतरा साबित हो सकती है।
एडिनोमायोसिस की समस्या में महिला को कुछ दवाइयां देकर या ऑपरेशन कर सूजन कम करने या सामान्य आकार में लाने का प्रयास किया जाता है लेकिन इसके बाद भी प्रेगनेंसी के चांसेज कम होते हैं।
एडिनोमायोसिस के कैसेज में फर्टिलाईजेशन के बाद गर्भ बच्चेदानी में नहीं जाकर किसी अन्य स्थान विकसित होने लगता है जिसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है इसमें गर्भपात की संभावनाएं अधिक रहती हैं। एडिनोमायोसिस के कारण संतान सुख से वंचित महिलाओं के लिए आईवीएफ तकनीक कारगर साबित हो सकती है।
आप इस समस्या से प्रभावित हैं तो आपको एक्सपर्ट से कन्सल्ट करके उपचार शुरू करवाना चाहिए।
एडिनोमायोसिस का उपचार करने से पहले डॉक्टर आपकी जरूरी जांचे करेंगे। अगर डॉक्टर को लगता है कि आपके गर्भाशय की साइज बड़ी है तो वे आपकी कुछ जांचे कर सकते हैं।
अल्ट्रासाउंडः आजकल ज्यादातर डॉक्टर इसे प्राथमिकता देते हैं। इसमें गर्भाशय की मांसपेशियों में यूट्रस की परत के ऊतकों की स्थिति के बारे में जानने में मदद मिलती है।
एमआरआईः यूट्रस की आंतरिक मांसपेशियों के बारे में जानने की एक नोर्मल जांच है। कुछ मामलों में एंडोमेट्रियल बायोप्सी की जरूरत पड़ सकती है। इसमें एंडोमेट्रियल टीश्यु का सेम्पल लेकर बीमारी की स्थिति के बारे में जानने के मदद मिल सकती है। डॉक्टर दर्द कम करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं।
एक अन्य उपचार तकनीक भी है जिसमें कमर में एक आर्टरी में एक ट्यूब डाला जाता है और इससे प्रभावित क्षेत्र में आसपास छोटे कणों को इंजेक्ट किया जाता है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी इस केस में फायदेमंद साबित हो सकती हैं इसमें एडिनोमायोटिक टीश्यु को कम से कम इनवेसिव तरीके से दूर करने का प्रयास किया जाता है।
कई महिलाएं एडिनोमायोसिस के निश्चित समाधान के लिए हिस्टेरेक्टॉमी करवाती हैं। हिस्टरेक्टॉमी सर्जरी एडेनोमायोसिस को समाप्त करने का सबसे बेहतर विकल्प है लेकिन इसमें गर्भाशय को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। यह एक सर्जरी है। ये उन महिलाओं के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है जो भविष्य में कभी मां नहीं बनना चाहती हैं। कोई महिला जो बाद में मां बनना चाहती है वो हिस्टरेक्टॉमी के बाद गर्भधारण नहीं कर पाएगी।
एडिनोमायोसिस से बचाव का सबसे उत्तम तरीका है अपने वजन को नियंत्रित व संतुलित रखें। रोजाना व्यायाम और वॉक करें । स्वास्थवर्धक भोजन लें। घी, तेल का उपयोग कम करें।
जो महिलाएं एडिनोमायोसिस के कारण गर्भधारण करने में असफल हो रही हैं या गर्भधारण के बाद गर्भपात हो जाता है उनके लिए आईवीएफ बेहतर विकल्प बन सकता है। एडिनोमायोसिस के कारण भ्रूण बच्चेदानी की परत पर चिपक नहीं पाता है। कई मामलों में भ्रूण बच्चेदानी में नहीं जाकर कहीं और ही विकसित होने लगता है जिससे महिला व भ्रूण दोनों को नुकसान हो सकता है। एडिनोमायोसिस के कारण निःसंतानता होने पर आईवीएफ अच्छा ऑप्शन बन सकता है। इसमें फैलोपियन में होने वाली फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस को लैब में किया जाता है और इससे बनने वाले भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानान्तरित कर दिया जाता है इससे सफलतापूर्वक गर्भधारण के चांसेज ज्यादा होते हैं।
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