हमारे देश में निसंतानता एक अभिशाप से कम नहीं है। निसंतान दम्पत्तियों को समाज एक अशुभ निगाहो से देखता है। जब महिलाओ को गर्भधारण करने में उम्मींद से ज्यादा वक़्त लग जाता है, तो वो तरह तरह के उपाय करने लगती है। जबकि विज्ञान आज इतनी प्रगति कर चूका है की करीब करीब हर परेशानी का उपाय उसके पास मौजूद है। जरुरत होती है तो इंसान को सही परामर्श की सही राह की।
निसंतानता के वैसे तो कई कारण हो सकते है, पर 30-35 % मामलो में महिला के अंडकोष में कमी या उनकी गुणवत्ता में गिरावट होती है।
अगर स्री की उम्र 35 वर्ष से अधिक होती है तो धीमे धीमे उसके अंडो की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही गिरने लगती है, 40 वर्ष के बाद तो यह गिरावट बहुत तेजी से आती है
हर औरत को भगवान ने सिमित संख्या में अंडे दिये है। जो की जब औरत अपनी माँ के गर्भ में होती है तो ही तय हो जाते है जब वह जन्म लेती है तब उसके पास अंडकोष में 1-2 million अंडे होते है जब वह Menstrual की stage में आती है यानि की जब उसकी माहवारी शुरू होती है, तब उसके पास सिर्फ 30,000 अंडे ही बचते है, पर उनमे से सिर्फ 300-400 पूरी प्रजनन समय में बड़े होते है। यानि की अंडे समय के साथ कम होते है, और जब ये खत्म हो जाते है, तो माहवारी बंद हो जाती है यानि menopause हो जाता है।
पर कुछ स्त्रीयों में बहुत कम उम्र में ही अंडे कम हो जाते है, अब इसके तो कई कारण हो सकते है जैसे अनुवांशिक बीमारी, autoimmune disorders, chemotherapy.
स्त्रीयों की अंडे बनाने की क्षमता हम AMH नाम के test से जान सकते है, या फिर सोनोग्राफी की मदद ले सकते है, जिससे हमे अंडो की संख्या के बारे में मालूम होता है
• कई cancer अथवा किसी बीमारी के चलते ovary क्षतिग्रस्त हो जाती है। उनमे भी अंडकोष में अंडे बहुत कम मिलते है
• कुछ महिलाओ के जन्म से ही अंडकोष (ovary ) होती ही नहीं है।
इन सभी conditions में महिलाओ को natural गर्भधारण करने में तकलीफ होती है
परन्तु आज विज्ञान इतनी प्रगति कर चूका है, जिससे इस प्रकार की समस्याओ से ग्रसित महिलाओ को भी माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। इसके लिए उन्हें egg donor का इस्तमाल करना चाहिये।
इस पद्धति में अनुकूल उम्र की स्वस्थ महिला से अंडे दान लिए जाते है। और पति के अथवा donor शुक्राणु लेकर भ्रूण बनाया जाता है। इस भ्रूण को laboratory के बाहर 3 दिन अथवा 5 दिन तक बड़ा किया जाता है, और फिर महिला के अंदर वह भ्रूण को प्रत्यारोपित किया जाता है।
यह भ्रूण महिला के शरीर में ही बढ़ता है और विकसित होता है। जिसकी 9 months बाद delivery हो जाती है।
यह एक आधुनिक तकनीक है, जिससे जो महिलाये प्राकृतिक रूप से माँ नहीं बन सकती, वह इस तकनीक द्वारा जीवन के सबसे अभूतय सुख संतान प्राप्त कर सकती है।
अंडे प्रकिया हलाकि बहुत उपयोगी है फिर भी इसको ले कर विभिन्न प्रकार के भ्रांतिया एवं तरह तरह की शंकाए तथा सवाल भी है।
आज हम उन्ही भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करेंगे।
Q 1. क्या वो बच्चा मेरा होगा ?
जी हाँ यक़ीनन वह आपका ही बच्चा है। यह आपके गर्भकोष में 9 months तक पोषित होगा, बढ़ेगा, शिशु का सारा भरण – पोषण आपके शरीर से ही संचारित होगा, उसकी पहली हलचल आप ही महसूस करेंगी, एवं प्रसव के दौरान जो पीड़ा होगी उसे आप ही सहन करेंगी। तो निश्चित ही यह आपका ही बच्चा होगा, हमने तो सिर्फ गर्भधारण में जो रूकावट आरही थी वह दूर की है। बाकी का कार्य तो आपके शरीर द्वारा ही पूर्ण हुआ है। तो निश्चित ही वह आपकी संतान होगी।
Q 2. क्या वह मेरे जैसा दिखेगा?
यह बात बिल्कुल सत्य है जो आनुवंशिक पदार्थ (genetic material) होता है, वह अंडे से आता है परन्तु आधा आनुवंशिक पदार्थ आपके पति का है।
वैज्ञानिक इस बात को प्रमाणित कर चुके है, की सारी विशेषताएं आनुवंशिक नहीं होती है, जब वह भ्रूण गर्भकोष में 9 months रहेगा तो उसके अंदर जो रक्त संचार (blood circulation) होगा वह आपका ही लहू होगा तो वह आपकी भावनाओ को समझेगा और आप भी उसकी भावनाओ को समझेंगी।
अवलनाल का बंधन एक माँ और बच्चे का ही होता है। और हर परिस्तिथि में रहेगा ही, तो निश्चित ही वह संतान आपके जैसी ही होगी।
हमारे पुराणों में गर्भ संस्कारो की रीत रही है, बढे बूढ़े हर गर्भवती महिला को अच्छा सोचने, अच्छे विचार रखने, अच्छी अच्छी किताबे पढ़ने को कहते है, क्योकि इसका सीधा असर आपके पेट में पलने वाले बच्चे पर पडता है, तो जब इतना असर आपके विचारो का उस बच्चे पर पड़ेगा, तो निश्चित ही वह आपका बच्चा होगा। और आपके जैसा होगा।
Q 3. किन महिलाओ को अंडे दान में लेने के बारे में सोचना चाहिए ?
1. अधिक उम्र होने पर
अगर किसी महिला की उम्र 40 वर्ष से अधिक है तो बेहतर यही होगा की वह अंडे दान ले ले। क्योकि ज्यादातर ऐसे में होने वाले बच्चो में आनुवंशिक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। गर्भपात के chances बढ़ जाते है
menopause स्थति भी आ जाती है।
इसलिए समय व्यर्थ न गवाते हुए अंडा दान में लेना ही समझदारी होती है।
2. समय से पहले डिम्ब ग्रंथि फेल होने पर (premature ovarian failure )
जैसा की हम पहले चर्चा कर चुके है, की जिन महिलाओ में समय से पहले अंडाशय में अंडे बनना बंद हो गए है। अंडाशय में अंडे होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे तकनिकी रूप से विकसित नहीं किया जा सकता। इसलिए ऐसी स्थित में अंडे दान ले लेने चाहिए।
3. बार बार IVF असफल होने पर – repeated IVF Failure
कई बार महिला में, एवं पुरुष में निसंतानता का कोई ठोस कारण नहीं होता, बार बार IVF fail हो जाता है। ऐसे में भी अंडे दान लेने के बारे में विचार करना चाहिए।
4. PGD का ख़राब result आने पर –
कई बार भ्रूण बनने के बाद उसका genetic test करते है और उसमे अगर भ्रूण में genetic बीमारी होती है तब भी महिला को egg donor ले लेना चाहिये।
5. अगर महिला की ovary क्षतिग्रस्त हो गयी हो, अथवा Absent हो
कई बार ovarian cancer अथवा radiation therapy के बाद ovary क्षतिग्रस्त हो जाती है, तब भी हमे इस तकनीक का इस्तमाल करना चाहिये।
अंत में मैं सिर्फ इतना कहना चाहूँगी, आप ज्यादा विचार ना करे। अगर आपके अंडो में कोई परेशानी है तो आप egg donor लेने में संकोच नहीं करे। यह आपकी मातृत्व की राह को आसान बनाने का एक मात्र उपाय है।
जब आप अपने बच्चे की धड़कन को सुनेंगी या फिर उसके पहले स्पर्श को महसूस करेंगी तब आपने egg donor लिया है, IVF कराया है, या कोई भी चीज़ के कोई मायने नहीं रहेंगे।
आप सिर्फ माँ होंगी और वह आपकी संतान।
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