आईवीएफ एम्ब्रियोलॉजी लैब के प्रोटोकॉल में नियमित क्वालिटी कंट्रोल के माध्यम से सुधार किया जा सकता है ताकि मरीजों को गर्भधारण करने में मदद मिल सके। आईवीएफ सफलता को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम कल्चर सिस्टम को हासिल करना और बनाए रखना एक महत्वपूर्ण और जरूरी घटक है ।
लैब की गुणवत्ता के मुख्य कारक आईवीएफ कल्चर मीडिया का पीएच (हाइड्रोजन दक्षता), तापमान और परासरण (ओस्मोलेरिटी) को नियंत्रित किया जा सकता है। तापमान, पीएच और ऑस्मोलेरिटी आपस में जुड़े होते हैं, जहाँ तापमान में वृद्धि मीडिया में मौजूद वाटर कंटेट को वाष्पीकरण की ओर ले जाती है जिससे सोल्ट की सांद्रता बढ़ जाती है। सोल्ट की सांद्रता में वृद्धि से मीडिया हाइपरटोनिक हो जाता है इस बीच पीएच में परिवर्तन होने की संभावना अधिक होती है। ये आईवीएफ सफलता को प्रभावी और स्थिर बनाए रखने में प्रमुख कारकों के रूप में कार्य करते हैं ।
• तापमान के प्रभाव को दूर करने के लिए लैब, इनक्यूबेटर, रेफ्रिजरेटर और फ्रीजर की गर्मी की निगरानी और दस्तावेजीकृत करना (डॉक्यूमेंटिंग) एक आवश्यक कदम के रूप में कार्य करते हैं।
• मीडिया में कार्बोहाइड्रेट और विटामिन होते हैं, यदि उच्चतम तापमान भंडारण में वृद्धि होती है तो ये विकृतिकरण (डिनेचुरेशन) से गुजर सकते हैं । तापमान में वृद्धि होने पर प्रोटीन डीऐमिनेशन का अनुभव कर सकते हैं।
• अगर स्टोरेज तापमान सबजीरो लेवल तक कम हो जाता है, तो मीडिया में अतिरिक्त वाटर कंटेट से बर्फ के क्रिस्टल का निर्माण हो जाता है।
• डिश तैयारी (22⁰C), युग्मक (गेमेट) और भ्रूण हैंडलिंग (37⁰C) के दौरान उच्चतम तापमान को बनाए रखना गुणवत्ता नियन्त्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। थर्मामीटर के उपयोग से गर्मी को मापा जा सकता है।
• पीएच परिवर्तन मुख्य रूप से स्टोरेज तापमान, वायुमंडलीय गैसों से मीडिया का संपर्क, इनक्यूबेटर सीओ2 सांद्रता, मीडिया के अनुचित संतुलन और खराब मीडिया पर निर्भर करता है।
• मीडिया कल्चर में अच्छे भ्रूण कल्चर के लिए अनुकूल पीएच (~2-7.4) होना चाहिए ।
• मीडिया के पीएच में बदलाव को आसानी से देखा जा सकता है यदि मीडिया को पीएच इंडिकेटर जैसे कि फिनोल रेड के साथ जोड़ दिया जाए, जहां क्षारीय मीडिया ईंट जैसा लाल दिखता है और अम्लीय मीडिया हल्का पीला दिखता है।
• पीएच मीटर का उपयोग करके पीएच की जाँच की जा सकती है।
• मीडिया की ओस्मोलेरिटी (~260-330+ mOsm/L) तापमान और दबाव पर निर्भर करती है।
• मीडिया स्टोरेज, मीडिया एलिकोटिंग, डिश की तैयारी (22⁰C) , युग्मक और भ्रूण हेंडलिंग (37⁰C) के दौरान अनुकूलतम तापमान बनाए रखना सीधे मीडिया की ओस्मोलेरिटी को प्रभावित करता है।
• मीडिया में ओस्मोलेरिटी परिवर्तन को गेमेट्स (युग्मक) या भ्रूणों में देखे गए परिवर्तनों से देखा जा सकता है। मीडिया के हाइपरटोनिक होने पर युग्मक सिकुड़ते हैं और दूसरी ओर मीडिया की हाइपोटोनिकता से गेमेट्स में सूजन होती है।
आईवीएफ लैब में उपयोग किए जाने वाले मीडिया के तापमान, पीएच और ओस्मोलेरिटी से संबंधित गुणवत्ता नियंत्रण का अध्ययन निम्न प्रकार किया जा सकता है –
यदि आईवीएफ के नियमित परिणामों में कोई कमी आ रही है तो समस्या निवारण प्राथमिक रूप से उन कारकों से शुरू किया जा सकता है जो तापमान, कार्बन डाइऑक्साइड स्तर, पीएच और ओस्मोलेरिटी जैसे कल्चर कंडीशन पर प्रभाव डालते हैं।
पीएच, तापमान और ओस्मोलेरिटी गुणवत्ता
आईवीएफ परिणामों में बदलाव को सुधारने के लिए निम्नलिखित आंकलन के बाद समस्या का सटीक रूप से निवारण किया जा सकता है –
• निषेचन दर
• भ्रूण की गुणवत्ता
• गर्भावस्था दर
• मल्टिपल (एक से अधिक गर्भ) गर्भावस्था दर
• प्रत्यारोपण दर
• सुरक्षित किये गये (फ्रोजन) भ्रूण के जीवित रहने की दर
• शुक्राणु सर्वाइवल (जीवित रहने की क्षमता) परीक्षण
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