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Prolactin Test in Hindi

Last updated: December 16, 2025

Overview

अक्सर कपल्स सब कुछ सही होने के बाद भी प्रेगनेंसी प्लान नहीं कर पाते। रिपोर्ट्स नॉर्मल लगती हैं, लेकिन "गुड न्यूज़" नहीं मिलती। इसका एक छुपा हुआ कारण हो सकता है हाई प्रोलैक्टिन हार्मोन (Prolactin Hormone)। जिसे हम आम भाषा में 'मिल्क हार्मोन' कहते हैं, वह अगर गलत समय पर बढ़ जाए, तो यह शरीर के लिए एक "नेचुरल गर्भनिरोधक यानी नेचुरल कॉन्ट्रासेप्टिव (Natural Contraceptive) का काम करने लगता है। अगर आप prolactin test in hindi जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल में हम आसान भाषा में समझेंगे कि प्रोलैक्टिन टेस्ट क्या है, यह फर्टिलिटी को कैसे रोकता है, और हाई लेवल को नार्मल कैसे किया जाए।

प्रोलैक्टिन हार्मोन आखिर है क्या? (What is Prolactin Hormone?)

हमारे दिमाग के निचले हिस्से में एक मटर के दाने जितनी ग्रंथि होती है, जिसे 'पिट्यूटरी ग्लैंड' (Pituitary Gland) कहते हैं। प्रोलैक्टिन इसी मास्टर ग्लैंड से निकलता है।

इसे आसान भाषा में समझें तो प्रोलैक्टिन का मुख्य काम "ममता का हार्मोन" बनना है। जब एक महिला गर्भवती होती है या बच्चे को जन्म देती है, तो यह हार्मोन शरीर को आदेश देता है कि "अब बच्चे के लिए दूध (Breast Milk) बनाने का समय है।" लेकिन समस्या तब आती है, जब आप गर्भवती नहीं हैं या आप पुरुष हैं फिर भी यह हार्मोन शरीर में बढ़ने लगता है।

प्रोलैक्टिन और फर्टिलिटी: यह प्रेगनेंसी को कैसे रोकता है? (Prolactin & Fertility Connection)

यह हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण है। आखिर एक हार्मोन प्रेगनेंसी को कैसे रोकता है?

इसे "नेचर के लॉजिक" से समझें। जब कोई माँ अपने बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) करा रही होती है, तो कुदरती तौर पर उसका शरीर दोबारा गर्भवती होने से बचता है। प्रोलैक्टिन हार्मोन ओवरी (अंडाशय) को सिग्नल देता है कि "अभी बच्चा छोटा है, अभी दूसरा अंडा (Egg) मत बनाओ।"

लेकिन अगर बिना प्रेगनेंसी के ही आपके शरीर में प्रोलैक्टिन हाई (Hyperprolactinemia) हो जाए, तो आपका दिमाग कन्फ्यूज हो जाता है। उसे लगता है कि आप शिशु को फीड करा रही हैं, और वह ओव्यूलेशन (एग बनने की प्रक्रिया) को रोक देता है।

इसका नतीजा यह होता है कि पीरियड्स या तो बंद हो जाते हैं या अनियमित हो जाते हैं, और गर्भ ठहरना नामुमकिन सा हो जाता है।

हाई प्रोलैक्टिन के लक्षण: (Symptoms of High Prolactin Levels)

कई बार लक्षण इतने हल्के होते हैं कि हम उन्हें इग्नोर कर देते हैं। लेकिन अगर आप प्रेगनेंसी के लिए कोशिश कर रहे हैं, तो इन इशारों को पहचानना जरूरी है:

महिलाओं में लक्षण:

  • अनियमित पीरियड्स: पीरियड्स का बहुत कम आना या कई महीनों तक गायब हो जाना जिसे एमेनोरिया (Amenorrhea) भी कहते हैं।
  • निप्पल से डिस्चार्ज: बिना प्रेगनेंसी के स्तनों से सफेद दूध जैसा पानी आना यानी गेलेक्टोरिया (Galactorrhea)
  • अनचाहे बाल: चेहरे या शरीर पर पुरुषों जैसे बाल उगना
  • सेक्स में दर्द: योनि मतलब वजाइना में सूखापन (Dryness) महसूस होना

पुरुषों में लक्षण:

प्रोलैक्टिन सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं है। पुरुषों में यह 'टेस्टोस्टेरोन' को कम कर देता है।

  • सेक्स ड्राइव में भारी कमी
  • इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction)
  • दाढ़ी-मूंछ के बालों का कम होना
  • स्तनों का हल्का बढ़ना यानी गाइनेकोमैस्टिया (Gynecomastia)

प्रोलैक्टिन टेस्ट की नार्मल रेंज: चार्ट (Normal Range of Prolactin Levels Chart)

जब आप अपनी रिपोर्ट देखेंगे, तो उसमें एक वैल्यू लिखी होगी। यह वैल्यू नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) में मापी जाती है। इसे समझने के लिए नीचे दिया गया चार्ट देखें:

कौन (Who) नार्मल रेंज (ng/mL) मतलब
गैर-गर्भवती महिलाएं 2 से 25 ng/mL यह सामान्य है।
गर्भवती महिलाएं 10 से 209 ng/mL प्रेगनेंसी में बढ़ना अच्छा संकेत है।
पुरुष 2 से 18 ng/mL इससे ज्यादा होना समस्या है।

(नोट: हर लैब की मशीन के हिसाब से रेंज में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है, अपनी रिपोर्ट में दी गई 'Reference Range' जरूर देखें।)

प्रोलैक्टिन बढ़ने के कारण (Causes of High Prolactin)

डॉक्टर अक्सर "प्रोलैक्टिनोमा (पिट्यूटरी ग्लैंड की एक छोटी सी, नॉन-कैंसरस गांठ) की बात करते हैं, जो हाई लेवल का एक बड़ा कारण है। लेकिन इसके अलावा भी कई कारण हैं जो हमारे लाइफस्टाइल में छिपे हैं:

  • तनाव: जैसे ही आप टेंशन लेते हैं, शरीर 'फाइट मोड' में आता है और प्रोलैक्टिन बढ़ सकता है।
  • थायराइड की कमी (Hypothyroidism): अगर आपका थायराइड कम काम कर रहा है, तो शरीर उसे धक्का देने के लिए TSH बढ़ाता है, जिससे प्रोलैक्टिन भी बढ़ जाता है।
  • दवाइयां: डिप्रेशन, गैस/एसिडिटी, या हाई बीपी की कुछ दवाएं इसका लेवल बढ़ा सकती हैं।
  • नींद की कमी: शरीर का हार्मोनल साइकिल नींद से जुड़ा है। कच्ची नींद भी इसे बढ़ा सकती है।

बहुत जरूरी जानकारी: टेस्ट से पहले की तैयारी और 'सही समय' (Preparation & Best Time for Test)

यह वो जानकारी है जो अक्सर लैब्स या आर्टिकल में नहीं बताई जाती, और इसी वजह से रिपोर्ट गलत आ सकती है। प्रोलैक्टिन बहुत ही संवेदनशील (Sensitive) हार्मोन है।

  • टेस्ट का सही समय (Golden Rule): यह टेस्ट आपको सोकर उठने के 3 से 4 घंटे बाद करवाना चाहिए क्योंकि सोते समय प्रोलैक्टिन का लेवल बढ़ जाता है। उठते ही टेस्ट कराने पर रिपोर्ट में लेवल हाई आ सकता है (False High), जबकि असल में आपको बीमारी नहीं है। अगर आप सुबह 7 बजे उठते हैं, तो 10 बजे सैंपल दें।
  • स्ट्रेस फ्री रहें: लैब जाते समय ट्रैफिक का गुस्सा या सुई का डर भी लेवल बढ़ा सकता है। सैंपल देने से पहले 15-20 मिनट लैब में शांति से बैठें।
  • निप्पल स्टिमुलेशन से बचें: टेस्ट से 24 घंटे पहले सेक्स या ब्रेस्ट चेकअप से बचें, क्योंकि इससे प्रोलैक्टिन स्पाइक कर सकता है।
  • क्या खाली पेट रहना जरूरी है? आमतौर पर प्रोलैक्टिन के लिए खाली पेट रहना जरूरी नहीं है, लेकिन अगर डॉक्टर ने साथ में शुगर या थायराइड टेस्ट भी लिखा है, तो खाली पेट ही बेहतर है।

हाई प्रोलैक्टिन का इलाज और नेचुरल उपाय (Treatment & Natural Tips)

अच्छी बात यह है कि हाई प्रोलैक्टिन का इलाज बहुत आसान और कारगर है।

  • दवाइयां: डॉक्टर जिनका काम पिट्यूटरी ग्लैंड को हार्मोन कम करने का सिग्नल देना होता है।
  • थायराइड का इलाज: अगर हाई प्रोलैक्टिन की जड़ थायराइड है, तो सिर्फ थायराइड की गोली लेने से प्रोलैक्टिन अपने आप नार्मल हो जाता है।

नेचुरल उपाय (Natural Tips):

  • विटामिन B6 और जिंक: अपनी डाइट में केले, पालक, और नट्स शामिल करें। रिसर्च मानती है कि जिंक और B6 प्रोलैक्टिन को कम करने में मदद करते हैं।
  • ढीले कपड़े पहनें: छाती पर बहुत टाइट कपड़े पहनने से बचें (खासकर महिलाएं)

भारत में प्रोलैक्टिन टेस्ट का खर्च (Cost of Prolactin Test)

यह बहुत महंगा टेस्ट नहीं है। भारत में शहर और लैब की क्वालिटी के हिसाब से इसका खर्च ₹400 से ₹800 के बीच हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रोलैक्टिन का बढ़ा होना सुनने में डरावना लग सकता है, लेकिन फर्टिलिटी की दुनिया में यह "सबसे आसानी से ठीक होने वाली समस्याओं" में से एक है। अगर आपकी रिपोर्ट में लेवल हाई आया है, तो घबराएं नहीं। सही डॉक्टर (Endocrinologist या Infertility Specialist) से मिलें। अक्सर दवा शुरू करने के कुछ ही हफ्तों में ओव्यूलेशन फिर से शुरू हो जाता है और प्रेगनेंसी की राह आसान हो जाती है। बस, टेस्ट सही समय पर और सही तरीके से करवाएं ताकि इलाज सही दिशा में हो सके।

प्रोलैक्टिन टेस्ट के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या हाई प्रोलैक्टिन के साथ मैं गर्भवती हो सकती हूँ?

 

हाई प्रोलैक्टिन ओव्यूलेशन (अंडे बनने) को रोक देता है, जिससे नेचुरल प्रेगनेंसी मुश्किल हो जाती है। लेकिन, डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों से जब लेवल नार्मल हो जाता है, तो प्रेगनेंसी की संभावना तुरंत बढ़ जाती है।

प्रोलैक्टिन टेस्ट के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?

 

सबसे सटीक रिजल्ट के लिए, सोकर उठने के 3 से 4 घंटे बाद ब्लड सैंपल दें। जैसे, अगर आप सुबह 6 बजे उठते हैं, तो 9 से 10 बजे के बीच टेस्ट कराएं।

क्या स्ट्रेस (तनाव) से प्रोलैक्टिन बढ़ता है?

 

जी हाँ, बहुत ज्यादा। तनाव होने पर शरीर में हार्मोनल उथल-पुथल होती है। इसलिए टेस्ट से पहले शांत रहना बहुत जरूरी है, नहीं तो रिपोर्ट में 'फाल्स हाई' आ सकता है।

प्रोलैक्टिन कम करने के लिए क्या खाना चाहिए?

 

जिंक और विटामिन B6 से भरपूर खाना फायदेमंद होता है। आप अपनी डाइट में साबुत अनाज, फलियाँ (Beans), केला, आलू, और नट्स शामिल कर सकते हैं।

क्या पुरुषों को भी प्रोलैक्टिन टेस्ट कराना चाहिए?

 

अगर किसी पुरुष को सेक्स की इच्छा में कमी (Low Libido), इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या स्तनों में बदलाव महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर उन्हें यह टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

**Disclaimer: The information provided here serves as a general guide and does not constitute medical advice. We strongly advise consulting a certified fertility expert for professional assessment and personalized treatment recommendations.
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