इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी (Erectile Dysfunction) पुरुषों में होने वाली एक आम यौन समस्या है। इस स्थिति में पुरुष यौन संबंध के दौरान लिंग का पर्याप्त इरेक्शन (तनाव) बनाए नहीं रख पाता।
आसान भाषा में कहें तो, जब संबंध के समय लिंग में पर्याप्त तनाव (इरेक्शन) नहीं होता या बीच में ढीला पड़ जाता है, तो इसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहा जाता है।
यह समस्या सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक कारणों से भी जुड़ी हो सकती है। कई बार थकान, तनाव या असंतुलित जीवनशैली की वजह से यह समस्या हो जाती है, जो कुछ समय के लिए ही होती है। लेकिन अगर यह समस्या बार-बार या लगातार बनी रहे, तो यह किसी आंतरिक बीमारी या हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है।
कई पुरुष शर्म या झिझक की वजह से डॉक्टर से बात नहीं करते, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का पूरी तरह इलाज संभव है, जरूरत बस सही जांच और डॉक्टर के साथ ईमानदारी से बातचीत करने की है।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जो शारीरिक, मानसिक और जीवनशैली तीनों से जुड़ी होती हैं।
अक्सर शारीरिक और मानसिक दोनों कारण मिलकर ईडी को बढ़ाते हैं। इसलिए डॉक्टर जांच करते समय आपकी जीवनशैली और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हैं।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षण धीरे-धीरे दिखते हैं। शुरुआत में कभी-कभी इरेक्शन न होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर यह समस्या बार-बार हो, तो ध्यान देना जरूरी है।
अगर तीन महीने या उससे अधिक समय से यह स्थिति बनी हुई है, या हर बार यौन संबंध के दौरान कठिनाई हो रही है तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। कई बार यह शरीर के भीतर किसी और बीमारी का शुरुआती संकेत भी होता है।
डॉक्टर सबसे पहले मरीज का पूरा मेडिकल इतिहास (मेडिकल हिस्ट्री) देखते हैं फिर कुछ जांचें की जाती हैं ताकि असली कारण का पता चल सके।
कई बार डॉक्टर नाइट-टाइम इरेक्शन टेस्ट (NPT) भी करवाते हैं, जिससे पता चलता है कि शरीर में इरेक्शन की क्षमता बनी हुई है या नहीं।
ED का इलाज (ED ka ilaaj) कारण और स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ पुरुषों के लिए केवल जीवन शैलीमें सुधार ही काफी होता है, जबकि कुछ को दवा या थेरेपी की जरूरत पड़ती है।
डॉक्टर ऐसी दवाएं देते हैं जो रक्त प्रवाह बढ़ाकर इरेक्शन में मदद करती हैं लेकिन इन्हें खुद से नहीं लेना चाहिए, क्योंकि गलत खुराक या बिना जांच के इस्तेमाल से ब्लड प्रेशर गिर सकता है।
अगर तनाव (स्ट्रैस), डर या संबंधों में दूरी के कारण समस्या मानसिक है तो काउंसलिंग बहुत मददगार साबित हो सकती है। कभी-कभी पार्टनर को साथ लेकर काउंसलिंग करना और भी असरदार रहता है।
जब दवाएं असर नहीं करती, तो डॉक्टर पेनाइल इम्प्लांट या वैक्यूम डिवाइस जैसे विकल्प सुझाते हैं। हालाँकि ये मामले बहुत कम होते हैं, लेकिन कई मरीजों की समस्या स्थायी रूप से सही हो जाती है।
अक्सर दवा या थेरेपी शुरू करने के बाद कुछ हफ्तों में सुधार दिखने लगता है। परन्तु हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है जिसकी वजह से दवा या थेरैपी का असर सब में अलग अलग होता है। अतः मरीज को फॉलो अप करते रहना चाहिए।
अगर स्थिति हल्की हो तो कुछ घरेलू और प्राकृतिक तरीके बहुत असरदार हो सकते हैं।
ज्यादातर मामलों में नहीं इरेक्टाइल डिसफंक्शन स्थायी नहीं होता। अगर कारण पहचाना जाए और समय पर इलाज शुरू हो जाये तो 90% मरीजों में सुधार संभव है। केवल कुछ मामलों में जहाँ नसों की क्षति या गंभीर हार्मोनल कमी होती है तभी यह समस्या स्थायी बन सकती है। लेकिन तब भी सही इलाज से सामान्य रूप से जीवन व्यतीत हो सकता है।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कोई शर्म की बीमारी नहीं, बल्कि एक नार्मल मेडिकल कंडीशन है जो सही देखभाल से पूरी तरह ठीक हो सकती है। अक्सर इसका कारण शरीर या मन का असंतुलन होता है और इसमें सुधार तभी होता है जब दोनों पर साथ में काम किया जाए।
अपने डॉक्टर से खुलकर बात करें, जीवनशैली में सुधार करें और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें। सही इलाज से आत्मविश्वास और अच्छा इरेक्शन दोनों वापस आ सकते हैं।
योग, पौष्टिक भोजन, व्यायाम और तनाव-मुक्त जीवनशैली (स्ट्रैस फ़्री लाइफस्टाइल) से धीरे-धीरे सुधार होता है।
हाँ, ज़्यादातर मामलों में सही इलाज और निरंतर प्रयास से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है।
ब्लड, हार्मोन और डॉपलर अल्ट्रासाउंड के जरिए कारण पता किया जाता है।
सामान्य इलाज ज्यादा महंगा नहीं होता है; केवल सर्जरी या इम्प्लांट महंगे होते हैं।
जब पुरुष संभोग के समय इरेक्शन बनाए नहीं रख पाता।
डॉक्टर की सलाह से दवा, योग और तनाव-नियंत्रण सबसे असरदार उपाय हैं।
हरी सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट्स, मछली और अंडे सबसे उपयोगी हैं।