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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction in Hindi): कारण, लक्षण, टेस्ट और इलाज

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Last updated: November 25, 2025

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का क्या है? (Erectile Dysfunction Kya hai in Hindi)

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी (Erectile Dysfunction) पुरुषों में होने वाली एक आम यौन समस्या है। इस स्थिति में पुरुष यौन संबंध के दौरान लिंग का पर्याप्त इरेक्शन (तनाव) बनाए नहीं रख पाता।

आसान भाषा में कहें तो, जब संबंध के समय लिंग में पर्याप्त तनाव (इरेक्शन) नहीं होता या बीच में ढीला पड़ जाता है, तो इसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहा जाता है।

यह समस्या सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक कारणों से भी जुड़ी हो सकती है। कई बार थकान, तनाव या असंतुलित जीवनशैली की वजह से यह समस्या हो जाती है, जो कुछ समय के लिए ही होती है। लेकिन अगर यह समस्या बार-बार या लगातार बनी रहे, तो यह किसी आंतरिक बीमारी या हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है।

कई पुरुष शर्म या झिझक की वजह से डॉक्टर से बात नहीं करते, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का पूरी तरह इलाज संभव है, जरूरत बस सही जांच और डॉक्टर के साथ ईमानदारी से बातचीत करने की है।

किन वजहों से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है (Erectile Dysfunction ke karan in Hindi)

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जो शारीरिक, मानसिक और जीवनशैली तीनों से जुड़ी होती हैं।

1. शारीरिक कारण:

  • मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes) के कारण शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है जिससे नसें और रक्त प्रवाह प्रभावित होता है।
  • हार्ट डिजीज या ब्लड प्रेशर की वजह से लिंग तक रक्त न पहुँचने से इरेक्शन नहीं बनता।
  • हार्मोनल असंतुलन के कारण टेस्टोस्टेरोन की कमी हो जाती है
  • थायरॉयड की गड़बड़ी के कारण भी लिंग स्तंभन (इरेक्शन) सही से नहीं हो पता।
  • कुछ न्यूरोलॉजिकल बीमारी जैसे स्पाइनल कॉर्ड या नसों से जुड़ी दिक्कतें भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार होती हैं।
  • कुछ ब्लड प्रेशर या एंटीडिप्रेशन दवाएं भी इरेक्शन पर असर डाल सकती हैं।

2. मानसिक कारण:

  • तनाव और चिंता : काम या रिश्तों से जुड़ा तनाव इरेक्शन में रुकावट डाल सकता है।
  • डिप्रेशन : मानसिक थकान और रुचि की कमी भी असर डालती है।
  • आत्मविश्वास की कमी : असफल अनुभव या डर भी मानसिक रुकावट बन जाते हैं।

3. जीवनशैली से जुड़े कारण:

  • धूम्रपान और शराब का सेवन
  • मोटापा और व्यायाम की कमी
  • नींद की कमी या अनियमित दिनचर्या
  • असंतुलित आहार, जंक फूड और नशे की आदत

अक्सर शारीरिक और मानसिक दोनों कारण मिलकर ईडी को बढ़ाते हैं। इसलिए डॉक्टर जांच करते समय आपकी जीवनशैली और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हैं।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के क्या लक्षण हैं? (Erectile Dysfunction Symptoms in Hindi)

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षण धीरे-धीरे दिखते हैं। शुरुआत में कभी-कभी इरेक्शन न होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर यह समस्या बार-बार हो, तो ध्यान देना जरूरी है।

मुख्य लक्षण:

  • यौन संबंध के दौरान लिंग में पर्याप्त तनाव न होना
  • इरेक्शन आने में देरी या जल्दी ढीला पड़ जाना
  • यौन इच्छा यानि लिबिडो (libido) में कमी
  • आत्मविश्वास और मूड पर असर

कब डॉक्टर से मिलें:

अगर तीन महीने या उससे अधिक समय से यह स्थिति बनी हुई है, या हर बार यौन संबंध के दौरान कठिनाई हो रही है तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। कई बार यह शरीर के भीतर किसी और बीमारी का शुरुआती संकेत भी होता है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए टेस्ट (Erectile Dysfunction Test in Hindi)

डॉक्टर सबसे पहले मरीज का पूरा मेडिकल इतिहास (मेडिकल हिस्ट्री) देखते हैं फिर कुछ जांचें की जाती हैं ताकि असली कारण का पता चल सके।

  • ब्लड टेस्ट: इसमें शुगर, कोलेस्ट्रॉल, टेस्टोस्टेरोन और हार्मोन लेवल की जांच की जाती है।
  • हार्मोन टेस्ट: शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा और थायरॉयड फंक्शन को देखा जाता है।
  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड (Doppler Test): यह जांच बताती है कि लिंग में ब्लड फ्लो सामान्य है या नहीं।
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन: अगर कारण मानसिक तनाव है, तो काउंसलिंग की सलाह दी जाती है।

कई बार डॉक्टर नाइट-टाइम इरेक्शन टेस्ट (NPT) भी करवाते हैं, जिससे पता चलता है कि शरीर में इरेक्शन की क्षमता बनी हुई है या नहीं।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का इलाज क्या है? (Erectile Dysfunction Treatment in Hindi)

ED का इलाज (ED ka ilaaj) कारण और स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ पुरुषों के लिए केवल जीवन शैलीमें सुधार ही काफी होता है, जबकि कुछ को दवा या थेरेपी की जरूरत पड़ती है।

1. दवाओं से इलाज :

डॉक्टर ऐसी दवाएं देते हैं जो रक्त प्रवाह बढ़ाकर इरेक्शन में मदद करती हैं लेकिन इन्हें खुद से नहीं लेना चाहिए, क्योंकि गलत खुराक या बिना जांच के इस्तेमाल से ब्लड प्रेशर गिर सकता है।

2. थैरेपी और काउंसलिंग :

अगर तनाव (स्ट्रैस), डर या संबंधों में दूरी के कारण समस्या मानसिक है तो काउंसलिंग बहुत मददगार साबित हो सकती है। कभी-कभी पार्टनर को साथ लेकर काउंसलिंग करना और भी असरदार रहता है।

3. सर्जरी और अन्य विकल्प :

जब दवाएं असर नहीं करती, तो डॉक्टर पेनाइल इम्प्लांट या वैक्यूम डिवाइस जैसे विकल्प सुझाते हैं। हालाँकि ये मामले बहुत कम होते हैं, लेकिन कई मरीजों की समस्या स्थायी रूप से सही हो जाती है।

4. इलाज का समय:

अक्सर दवा या थेरेपी शुरू करने के बाद कुछ हफ्तों में सुधार दिखने लगता है। परन्तु हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है जिसकी वजह से दवा या थेरैपी का असर सब में अलग अलग होता है। अतः मरीज को फॉलो अप करते रहना चाहिए।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का घरेलू इलाज क्या है? (How to Cure Erectile Dysfunction at Home in Hindi)

अगर स्थिति हल्की हो तो कुछ घरेलू और प्राकृतिक तरीके बहुत असरदार हो सकते हैं।

1. सही आहार (डाइट और न्यूट्रिशन) :

  • हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, बादाम, अखरोट, अंडे और मछली खाएं।
  • जिंक, मैग्नीशियम और ओमेगा-3 वाले भोजन से रक्त संचार बेहतर होता है।
  • तले, जंक फूड और ज़्यादा मीठे खाद्य पदार्थों से परहेज करें।

2. व्यायाम और योग (Exercise and Yoga):

  • रोज़ाना 30 मिनट चलना या हल्का रनिंग ब्लड फ्लो सुधारता है।
  • योगासन जैसे भुजंगासन, मंडूकासन और सेतुबंधासन से शरीर में ऊर्जा और आत्मविश्वास दोनों बढ़ते हैं।

3. जीवनशैली में बदलाव :

  • धूम्रपान और शराब पूरी तरह छोड़ें।
  • नींद पूरी लें, कम से कम 7 घंटे जरूर सोयें।
  • स्ट्रैस कम करने के लिए मेडिटेशन या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।
  • पार्टनर से खुलकर बात करें क्योंकि शारीरिक जुड़ाव के साथ भावनात्मक जुड़ाव भी उतना ही जरूरी है।

क्या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन स्थायी होता है? (Is Erectile Dysfunction Permanent?)

ज्यादातर मामलों में नहीं इरेक्टाइल डिसफंक्शन स्थायी नहीं होता। अगर कारण पहचाना जाए और समय पर इलाज शुरू हो जाये तो 90% मरीजों में सुधार संभव है। केवल कुछ मामलों में जहाँ नसों की क्षति या गंभीर हार्मोनल कमी होती है तभी यह समस्या स्थायी बन सकती है। लेकिन तब भी सही इलाज से सामान्य रूप से जीवन व्यतीत हो सकता है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का खर्च (Cost of Erectile Dysfunction Treatment in Hindi)

  • डॉक्टर कंसल्टेशन : ₹500–₹2,000
  • ब्लड टेस्ट / हार्मोन टेस्ट : ₹1500–₹3000
  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड : ₹3000–₹5000
  • दवा और काउंसलिंग : ₹1000–₹3000 प्रति माह
  • सर्जरी (Penile Implant) : ₹1,35,000–₹2,54,000 (Indian), up to ₹11,00,000 (Imported Inflatable)

निष्कर्ष (Conclusion)

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कोई शर्म की बीमारी नहीं, बल्कि एक नार्मल मेडिकल कंडीशन है जो सही देखभाल से पूरी तरह ठीक हो सकती है। अक्सर इसका कारण शरीर या मन का असंतुलन होता है और इसमें सुधार तभी होता है जब दोनों पर साथ में काम किया जाए।

अपने डॉक्टर से खुलकर बात करें, जीवनशैली में सुधार करें और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें। सही इलाज से आत्मविश्वास और अच्छा इरेक्शन दोनों वापस आ सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का घरेलू इलाज कैसे करें?

 

योग, पौष्टिक भोजन, व्यायाम और तनाव-मुक्त जीवनशैली (स्ट्रैस फ़्री लाइफस्टाइल) से धीरे-धीरे सुधार होता है।

क्या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हमेशा के लिए ठीक हो सकता है?

 

हाँ, ज़्यादातर मामलों में सही इलाज और निरंतर प्रयास से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन टेस्ट कैसे किया जाता है?

 

ब्लड, हार्मोन और डॉपलर अल्ट्रासाउंड के जरिए कारण पता किया जाता है।

इसका इलाज कितना खर्चीला है?

 

सामान्य इलाज ज्यादा महंगा नहीं होता है; केवल सर्जरी या इम्प्लांट महंगे होते हैं।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का मतलब क्या होता है?

 

जब पुरुष संभोग के समय इरेक्शन बनाए नहीं रख पाता।

इसे जल्दी ठीक करने का तरीका क्या है?

 

डॉक्टर की सलाह से दवा, योग और तनाव-नियंत्रण सबसे असरदार उपाय हैं।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में कौन-सा खाना अच्छा है?

 

हरी सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट्स, मछली और अंडे सबसे उपयोगी हैं।

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