पुरुषों में इनफर्टिलिटी और नपुंसकता जैसी समस्याएं आजकल गंभीर समस्या बन गई हैं, विशेषकर पुरुष बांझपन के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक ऐसी समस्या है जिसमें पुरुष के लिंग (पेनिस) में संभोग के दौरान उत्तेजना नहीं होती या फिर उसे बनाए रखने में परेशानी होती है। यह समस्या युवाओं की तुलना में अधिक उम्र के पुरूषों में होने की संभावना अधिक होती है।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से प्रभावित पुरूष यौन इच्छा और इरेक्शन में कमी जैसी कठिनाईयों का सामना करता है। इसका प्रभाव सेक्स लाइफ पर तो पड़ता है साथ ही पुरूष भावनात्मक रूप से भी स्वयं को कमजोर महसूस करते हैं। समय पर चिकित्सकीय सलाह और उपचार से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को दो कैटेगरी में बांटा जा सकता है। पहला प्राइमरी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और दूसरा सैकेंडरी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन।
प्राइमरी ईडी एक ऐसी विकट स्थिति हैं जिसमें व्यक्ति पूरे जीवन में इरेक्शन बनाए रखने में असमर्थ था। यह स्थिति बहुत कम केसेज में सामने आती है।
सैकेंडरी ईडी से प्रभावित व्यक्ति में इरेक्शन पहले हो रहा था लेकिन अब किन्हीं कारणों से इरेक्शन नहीं हो पा रहा है। इस समस्या से पीड़ित ज्यादातर पुरूषों में यह लक्षण सामने आते हैं। इसे दवा या सर्जरी व अच्छे आहार के साथ-साथ साधारण जीवनशैली व इलाज करके सही किया जा सकता है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के शारीरिक या मनोवैज्ञानिक या फिर दोनों ही कारण हो सकते हैं। संभोग के दौरान पुरूष के मस्तिष्क, मांसपेशियां, रक्त वाहिकाएं, हार्मोन और नसें सभी शामिल होती हैं। इन सभी में से किसी में भी समस्या उत्पन्न होने पर इरेक्टाइल डिसफंक्शन की स्थिति पैदा हो सकती है।
शारीरिक कारणों की बात करें तो ये मुख्य रूप से रक्त प्रवाह और रक्तचाप संबंधी रोग इसके कारण हो सकता है। हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, नींद से जुड़े रोग, एथेरोस्क्लेरोसिस, उच्च रक्तचाप जैसी शारीरिक स्थितियां लिंग के रक्त प्रवाह को प्रभावित करती हैं।
मनोवैज्ञानिक कारणः यौन ट्रॉमा मनोवैज्ञानिक मुद्दों के कारण भी होते हैं। स्ट्रेस,पोर्न की लत, चिंता, डिप्रेशन, रिश्तों में अपनेपन की कमी,सेक्स परफॉरमेंस को लेकर टेन्शन आदि कारण हो सकते हैं।
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कुछ अन्य कारण- पोषण की कमी, शराब का अधिक सेवन, फिजिकल एक्टिविटी की कमी या व्यायाम न करना, खराब खानपान।
ईडी स्थायी समस्या नहीं है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन का उपचार मुख्य रूप से इसके कारणों पर काफी हद तक निर्भर करता है। अगर मरीज को इसके कारणों के बारे में पता चल जाए तो इलाज करवा सकता है। आइए जानते हैं नपुसंकता के लक्षण व उपचार के बारे में ।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण अचानक से नहीं दिखते हैं, धीरे-धीरे इसका असर दिखने लगता है लेकिन पुरूष इसे नजरअंदाज करता है। शुरूआत में इरेक्शन प्राप्त करने में समर्थ होता है हालांकि इस दौरान भी यौन इच्छा कम होने लगती है। कुछ समय बाद, इरेक्शन समय का समय कम हो जाता है और बाद में इरेक्शन नहीं हो पाता है।
मरीज के स्थिति पर निर्भर करता है कि उसके लिए कौनसा उपचार विकल्प फायदेमंद हो सकता है। जो पुरूष इरेक्शन प्राप्त करने में कठिनाई या यौन इच्छा में कमी महसूस कर रहे हैं वे इससे डरने या नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर से बात करें । समस्या को देखते हुए डॉक्टर आपको लाईफस्टाइल में बदलाव के साथ कुछ दवाइयां दे सकते हैं। प्रारम्भिक उपचार में लाभ नहीं होने पर उपचार प्रबंधन योजना बनाकर इलाज शुरू कर सकते हैं । कुछ मामलों में सर्जरी का सुझाव भी दिया जा सकता है।
इन उपचारों के साथ तरबूज और पपीता जैसे कुछ फल शरीर की इरेक्टाइल शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
इन फलों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है साथ ही ये फल धमनियों को फैलाते हैं जिससे रक्त के प्रवाह को सुचारू होने में मदद मिलती है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का खर्चा मरीज की बीमारी की अवस्था व अन्य बाते ध्यान में रखकर 20,000 से 40,000 रूपये के बीच हो सकता है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण कई पुरूषों को निःसंतानता का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को घबरना नहीं चाहिए और एक्सपर्ट डॉक्टर से बात करनी चाहिए क्यांकि आधुनिक तकनीकों से वे संतान प्राप्ति का सफर आसान कर सकते हैं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की स्थिति में आप इन्दिरा आईवीएफ के एक्सपर्ट डॉक्टर से कन्सल्ट करके उचित उपचार प्रक्रिया शुरू करवा सकते हैं। हमारे आईवीएफ विशेषज्ञों से मुफ्त परामर्श बुक करने के लिए आज ही 18003092323 पर कॉल करें।
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